अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस समारोह के लिए तैयारियां आखिरी चरण में हैं. जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यहां काम कर रहे मजदूर जोश और उत्साह के साथ काम को और तेजी से निपटाते जा रहे हैं. यहां काम कर रहे मजूदर इसे अपना सौभाग्य मान रहे हैं.
वहीं, दूसरी तरफ यहां किन्नरों में भी अलग ही उत्साह नजर आ रहा है. वह कई सौ साल से चली आ रही परंपरा को निभा रही हैं. भगवान राम को गाली देते हुए रोज वह गाना गाती हैं. अब उन्हें बस इंतजार है उस पल का जब रामलला विराजमान होंगे. वह कहती हैं कि यह देखकर वह धन्य हो जाएंगी.
‘कभी नहीं सोचा था, यहां काम करने का मौका मिलेगा’
मंदिर के लिए काम कर रहे गोरखपुर के पंकज कुमार पासवान ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा, “जो हो रहा है अच्छा हो रहा है. यहां विश्व का सबसे भव्य मंदिर होगा. यह हमारी सात पीढ़ियों के अच्छे कर्म हैं जो हम यहां काम करने को आए हैं, नहीं तो हमने कभी नहीं सोचा था कि यह मौका मिलेगा.”
‘रुपयों के लिए नहीं, प्रभु की सेवा के लिए कर रहे काम’
सुल्तानपुर के एक मजदूर ने बताया कि “बड़े सौभाग्य वाले लोगों को ही यहां दर्शन का मौका मिलेगा. हम खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं कि यहां दो साल से भगवान की सेवा में लगे हुए हैं और हमें यहां काम करने का मौका मिला है.” अधिकतर मजदूरों ने बताया कि “वे यहां रुपयों के लिए काम नहीं कर रहे हैं. वे बस प्रभु राम की सेवा के लिए यहां हैं. पैसा तो बहुत मिलेगा, लेकिन जो सम्मान यहां मिलेगा वो कहीं नहीं मिलेगा.”
‘घरवालों को भी लगता है अच्छा’
मजदूरों के एक और समूह ने बताया कि “हम दो साल से यहां काम कर रहे हैं. बहुत अच्छा लगता है कि भगवान के लिए काम करने का मौका मिला. घर वालों को भी अच्छा लगता है कि हम इस मंदिर के लिए काम कर रहे हैं. हम लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रभु राम के मंदिर निर्माण में हमारा हाथ होगा.”
कनक भवन में किन्नरों ने बढ़ाई रौनक
मंदिर निर्माण के बीच यहां के कनक भवन में अलग ही नजारा नजर आता है. यहां किन्नरें भगवान राम को गाली देने की वर्षों पुरानी परंपरा को निभा रही हैं. किन्नर शिवानी कहती हैं, “रामजी हमारे जीजा जी लगते हैं, हम लोग मिथिला से हैं. इसलिए हमारी परंपरा है कि हम उन्हें गाली देते हैं.” चंद्रकला नाम की किन्नर ने भावुक होते हुए बताया, “उनके चरणों में सेवा करके, उनको रिझा के जीवन यापन कर रहे हैं. मंदिर बनने के बाद हम सखियों का भाग्य खुल जाएगा. हम तो यही चाहते हैं कि ठाकुर जी जल्दी विराजमान हो जाएं.”