केंद्र सरकार ने शनिवार को कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स बढ़ा दिया. अब कच्चे तेल पर 3,200 रुपये प्रति टन की दर से विंडफॉल टैक्स लगेगा. नई दरें आज 3 फरवरी से प्रभावी हो गई हैं. इससे पहले कच्चे तेल पर 1,700 रुपये टन के हिसाब से विंडफॉल टैक्स लग रहा था.
डीजल-पेट्रोल पर जीरो टैक्स
वहीं डीजल, पेट्रोल और विमानन ईंधन के मामले में सरकार ने विंडफॉल टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया है. डीजल, पेट्रोल और एटीएफ पर विंडफॉल टैक्स की दरें शून्य थीं. आगे भी अगले अपडेट तक इनके ऊपर विंडफॉल टैक्स शून्य ही रहने वाला है.
क्या होता है विंडफॉल टैक्स
विंडफॉल टैक्स एक तरह की एडिशनल कस्टम ड्यूटी है. कच्चे तेल व अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार से बंपर मुनाफा कमा रही कंपनियों से इसके जरिए सरकार कुछ हिस्सा खजाने में जमा करती है. पिछले एक-डेढ़ साल के दौरान वैश्विक ऊर्जा व्यापार में आए उतार-चढ़ाव के मद्देनजर कई देश कच्चे तेल व पेट्रोलियम उत्पादों पर विंडफॉल टैक्स लगा रहे हैं.
हर दो सप्ताह में होता है बदलाव
भारत में सरकार ने जुलाई 2022 में कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स लगाया था. कच्चे तेल के प्रोड्यूसर्स के अलावा सरकार ने पेट्रोल, डीजल और विमानन ईंधन के निर्यात पर भी विंडफॉल टैक्स लगाया था. सरकार हर दो सप्ताह में विंडफॉल टैक्स की समीक्षा करती है. इससे पहले 16 जनवरी को किए गए बदलाव में कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स की दरें घटा दी गई थीं. तब सरकार ने इसे घटाकर 1,700 रुपये प्रति टन कर दिया था. वहीं डीजल, पेट्रोल और एटीएफ पर जीरो विंडफॉल टैक्स रखा गया था.
इस कारण से बिगड़ा संतुलन
पूर्वी यूरोप में रूस और यूक्रेन के बीच 2022 के फरवरी महीने में युद्ध शुरू होने के बाद ऊर्जा बाजार का संतुलन बिगड़ा है. अमेरिका व उसके सहयोगी देशों ने रूस के ऊपर कई आर्थिक पाबंदियां लगाई हैं, जिनमें ऊर्जा यानी कच्चा तेल व पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद पर पाबंदियां भी शामिल हैं. इसका फायदा भारत जैसे देशों की कंपनियों को हुआ है.
तेल कंपनियां ऐसे कमा रहीं मुनाफा
आर्थिक पाबंदियों के कारण दुनिया भर में खासकर यूरोप में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें काफी बढ़ी हैं. ऐसे में कई भारतीय कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए घरेलू बाजार के बजाय कच्चे तेल, डीजल, पेट्रोल और एटीएफ आदि का निर्यात करने लग गईं.