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Akal Takht ने Sukhbir Badal को ‘तनखैया’ घोषित किया, क्या है इसका मतलब, क्या होती है ये सजा

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Punjab के पूर्व डिप्टी CM और शिरोमणि अकाली दल के चीफ Sukhbir Badal को तनखैया घोषित कर दिया है।

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ आखिरकार सिखों की सर्वोच्च संस्था ने फैसला सुना ही दिया. उन्हें तनखैया करार दे दिया गया. सुखबीर बादल पर सिख पंथ के नियमों से बाहर जाकर कई ऐसे फैसले लेने के आरोप लगे, जिन्हें लेकर सिखों में लगातार रोष बढ़ता चला गया।
नौबत यहां तक पहुंच गई कि सुखबीर के अपने ही बागी हो गए और अलग गुट बना कर उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बागी गुट ने उनके गुनाहों का कच्चा चिट्ठा श्री अकाल तख्त साहिब को सौंपा और कड़ी कार्रवाई तक की मांग कर डाली।
बागी गुट की मांग के समय से माना जा रहा था कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार उनके खिलाफ सख्त फैसला ले सकते हैं. और हुआ भी ऐसा ही… शुक्रवार को पांच सिंह साहिबानों की बैठक शुरू होते ही सभी मुद्दों को किनारे रख इस मुद्दे पर एकजुट होकर फैसला लिया गया और जत्थेदार ने संगत के सामने आकर उन्हें पंथ से निष्कासित कर दिया।
हालांकि, रोष बढ़ता देख सुखबीर बादल बीती 24 जुलाई को पहले ही श्री अकाल तख्त पर पेश हुए और जत्थेदार को बंद लिफाफे में अपने गुनाह कबूलते हुए अपना स्पष्टीकरण दिया. कुछ दिन बाद जब इस माफीनामे को सार्वजनिक किया गया तो सामने आया कि उन्होंने खुले मन और बिना शर्त अपने गुनाहों की माफी मांगी हैं।
उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि वह सारी गलतियों को अपनी झोली में डालते हैं और पांचों सिंह साहिबान उन्हें जो भी सजा सुनाएंगे, वे उसे सिर-माथे पर लेंगे. लेकिन इस माफीनामे के बाद भी उनके खिलाफ नाराजगी कम होने की बजाय बढ़ती चली गई. अकाल तख्त साहिब से मिल रहे सख्त कार्रवाई के संकेतों के और लगातार बढ़ते दबाव के बाद शिरोमणि अकाली दल ने बीते दिन बलविंदर सिंह भूंदड़ को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
Sukhbir Badal ने मांगी माफी
बहरहाल सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब में अकाली दल के सत्ता में रहने के दौरान की गई ‘सभी गलतियों’ के लिए ‘बिना शर्त माफी’ मांगी है. इससे पहले अपने पत्र में बादल ने कहा था कि वह गुरु के ‘विनम्र सेवक’ हैं और गुरु ग्रंथ साहिब एवं अकाल तख्त के प्रति समर्पित हैं. पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री बादल ने 24 जुलाई को अपना स्पष्टीकरण पेश किया था।
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