हरियाणा सरकार ने इस बार एक लाख 89 हजार 876 करोड़ का अनुमानित बजट बनाया था।
भाजपा और कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव प्रचार के साथ दोनों दलों ने अपने घोषणा पत्र में कई लुभावने वादे किए हैं। कांग्रेस की घोषणाएं का बोझ करीब 36 से 38 हजार है जबकि भाजपा की 30 से 32 हजार करोड़ का अनुमान है। हरियाणा सरकार ने इस बार एक लाख 89 हजार 876 करोड़ का अनुमानित बजट बनाया था। इस हिसाब से भाजपा आए या कांग्रेस बजट का 16-17 फीसदी हिस्सा सिर्फ मुफ्त वादों की घोषणा में ही चला जाएगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि मौजूदा बजट में इन मुफ्त योजनाओं को लागू करने में किसी अन्य मद में कटौती भी करनी पड़ सकती है।
क्या कहते हैं अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्री व राजकीय कॉलेज महाविद्यालय बहु के प्रोफेसर डा. सुनील कुमार कहते हैं कि यदि मुफ्त योजनाएं ऊपरी तबकों के लिए हैं तो इसे एक तरह का बोझ समझा जाएगा और यदि नीचे वाले तबकों के लिए है तो इसे एक संपत्ति के तौर पर मान सकते हैं। हालांकि महिलाओं को पैसे देकर दोनों दल उन्हें मजबूत बनाएंगे और उनकी परचेजिंग पावर बढ़ेगी, इससे एक मार्केट बनाएगी। हालांकि सरकार को इन सभी योजनाओं को पूरा करने के लिए रिसोर्श बढ़ाने होंगे। फिजूलखर्ची रोकनी होगी और जरूरत पड़ने पर कुछ मदों पर कटौती भी करनी पड़ सकती है। जीएसटी होने की वजह से सरकार कोई नया कर भी नहीं लगा सकती है। हालांकि मेरा व्यक्तिगत मानना है कि इस तरह की योजनाओं से बेहतर उनके लिए आय और नौकरी के लिए अवसर पैदा करने पर जोर देना चाहिए था। इससे उन्हें ज्यादा मजबूती मिलती और इस तरह योजनाएं किसी आपातकालीन समय ( कोविड या मंदी जैसे दौर पर ) के लिए बचा कर रखनी चाहिए।
अर्थशास्त्री व राजकीय कॉलेज महाविद्यालय बहु के प्रोफेसर डा. सुनील कुमार कहते हैं कि यदि मुफ्त योजनाएं ऊपरी तबकों के लिए हैं तो इसे एक तरह का बोझ समझा जाएगा और यदि नीचे वाले तबकों के लिए है तो इसे एक संपत्ति के तौर पर मान सकते हैं। हालांकि महिलाओं को पैसे देकर दोनों दल उन्हें मजबूत बनाएंगे और उनकी परचेजिंग पावर बढ़ेगी, इससे एक मार्केट बनाएगी। हालांकि सरकार को इन सभी योजनाओं को पूरा करने के लिए रिसोर्श बढ़ाने होंगे। फिजूलखर्ची रोकनी होगी और जरूरत पड़ने पर कुछ मदों पर कटौती भी करनी पड़ सकती है। जीएसटी होने की वजह से सरकार कोई नया कर भी नहीं लगा सकती है। हालांकि मेरा व्यक्तिगत मानना है कि इस तरह की योजनाओं से बेहतर उनके लिए आय और नौकरी के लिए अवसर पैदा करने पर जोर देना चाहिए था। इससे उन्हें ज्यादा मजबूती मिलती और इस तरह योजनाएं किसी आपातकालीन समय ( कोविड या मंदी जैसे दौर पर ) के लिए बचा कर रखनी चाहिए।