पार्टी की ओर से इस सीट पर सुखबीर बादल को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा तो चली लेकिन श्री अकाल तख्त के जत्थेदार की ओर से बुधवार को लिए गए फैसले के बाद शिअद के समक्ष बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
गिदड़बाहा विधानसभा हल्के से प्रकाश सिंह बादल 1969,1972,1977,1980 व 1985 में विधायक बने। गिदड़बाहा से विधायक बनने के बाद प्रकाश सिंह बादल 1970 पहली बार मुख्यमंत्री बने। जबकि इसी हल्के से जीतने के बाद दूसरी बार 1977 में वे मुख्यमंत्री बने।
1969 से लेकर 2012 तक बादल परिवार का इस सीट पर कब्जा रहा। हालांकि 1992 में शिअद के चुनाव न लड़ने फैसले के बाद कांग्रेस के टिकट पर रघुबीर सिंह चुनाव जीत कर विधायक बने थे। इसके बाद मनप्रीत बादल अकाली दल के टिकट से चुनाव जीतकर विधायक चुने जाते रहे लेकिन पिछले तीन चुनाव से कांग्रेस के टिकट पर अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग चुनाव जीत रहे हैं।
जब मनप्रीत बादल ने छोड़ी शिअद
मनप्रीत बादल के शिअद छोड़कर अपनी पार्टी पीपीपी बनाने के बाद अकाली दल की ओर से हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को हलका सौंप दिया गया था। हालांकि वह अच्छे वोट प्राप्त करते रहे, लेकिन शिअद की झोली में जीत नहीं डाल पाए।
लेकिन अब उप चुनाव से पहले उन्होंने शिअद के मनप्रीत बादल के साथ मिले होने के आरोप लगाकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया और आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली। ऐसे में जिस विधानसभा हल्के पर शिअद का कब्जा हुआ करता था, अब उस हल्के से शिअद को कोई सही प्रत्याशी ही नहीं मिल रहा।