नीलगिरि प्रोजेक्ट 17ए की पहली स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट है
जबकि सूरत प्रोजेक्ट 15बी स्टील्थ डिस्ट्रॉयर क्लास का चौथा और अंतिम जहाज है। वहीं, वाघशीर स्कॉर्पीन क्लास प्रोजेक्ट 75 की छठी और अंतिम पनडुब्बी है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम न केवल भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता को मजबूत करेगा बल्कि स्वदेशी जहाज निर्माण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता को भी उजागर करेगा।
तीनों प्लेटफॉर्म का निर्माण और डिज़ाइन मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई में किया गया है। यह स्वदेशी रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
इन उन्नत युद्धपोतों और पनडुब्बियों का कमीशन यह दर्शाता है कि भारत ने युद्धपोत डिज़ाइन और निर्माण में तेजी से प्रगति की है और वह वैश्विक रक्षा निर्माण में एक अग्रणी राष्ट्र बन गया है।
नीलगिरि, प्रोजेक्ट 17ए का प्रमुख जहाज, शिवालिक-क्लास फ्रिगेट्स की तुलना में उन्नत है और इसमें अत्याधुनिक तकनीक के साथ स्टील्थ फीचर्स शामिल हैं, जो रडार सिग्नेचर को कम करते हैं।
वहीं, सूरत, प्रोजेक्ट 15बी का अंतिम जहाज, कोलकाता-क्लास (प्रोजेक्ट 15ए) डिस्ट्रॉयर्स के उन्नत संस्करण के रूप में तैयार किया गया है। ये दोनों जहाज भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं और इनमें आधुनिक सेंसर व हथियार प्रणाली शामिल हैं, जो भारत में ही विकसित किए गए हैं या वैश्विक निर्माताओं के साथ रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाए गए हैं।
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नीलगिरि और सूरत में आधुनिक विमानन सुविधाएं हैं, जो चेतक, एएलएच, सी किंग और नव-प्रेरित एमएच-60आर हेलीकॉप्टर्स को दिन और रात दोनों समय संचालित करने में सक्षम हैं।
इन जहाजों में रेल-लेस हेलीकॉप्टर ट्रैवर्सिंग सिस्टम और विजुअल एड एंड लैंडिंग सिस्टम जैसी विशेषताएं हैं, जो सभी परिस्थितियों में सुगम संचालन सुनिश्चित करती हैं। इसके अलावा, इन जहाजों में महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए विशेष आवास व्यवस्था की गई है, जो नौसेना के अग्रणी दृष्टिकोण को दर्शाती है।
वाघशीर, स्कॉर्पीन-क्लास की छठी पनडुब्बी, विश्व की सबसे शांत और बहुपयोगी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में से एक है। यह सतह-रोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, क्षेत्र निगरानी और विशेष अभियानों जैसे कार्यों के लिए डिज़ाइन की गई है।
इसमें वॉयर-गाइडेड टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइलें और उन्नत सोनार प्रणाली लगी हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर तीनों युद्धक प्लेटफॉर्म का एक साथ कमीशन किया जाना न केवल भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि यह स्वदेशी रक्षा निर्माण में भारत की उपलब्धियों का प्रतीक भी है। यह दिन भारतीय नौसेना और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण होगा।