पंजाब सरकार ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड की उच्च स्तरीय बैठक में हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से साफ इनकार कर दिया है।
पंजाब सरकार ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड(बीबीएमबी) की अचानक बुलाई गई बैठक में हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से साफ मना कर दिया है। हालांकि बीबीएमबी द्वारा बैठक डैमों की सुरक्षा को लेकर बुलाई गई थी, लेकिन बैठक का मुख्य मुद्दा हरियाणा को 8500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने का था।
हरियाणा के सीएम ने पंजाब के सीएम को पत्र लिखा
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखकर हरियाणा के कई हिस्सों में पीने के पानी की किल्लत का हवाला देते हुए 8500 क्यूसेक पानी की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में मई और जून के महीनों में हरियाणा को 9500 क्यूसेक तक पानी मिलता रहा है। उन्होंने बीबीएमबी की 23 अप्रैल को हुई बैठक का भी जिक्र किया।
बीबीएमबी की बैठक में बोर्ड ने क्या कहा?
बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई बैठक में बोर्ड ने कहा कि आगामी बाढ़ के मौसम में आने वाले अतिरिक्त पानी को संभालने के लिए डैमों में जलस्तर कम किया जाए। पंजाब सरकार के अधिकारियों ने नाराजगी जताते हुए कहा, कि डैमों में तो पहले से ही जलस्तर कम है और सुरक्षा का बहाना बनाना बिल्कुल अनुचित है।
हरियाणा में पीने के पानी के गंभीर संकट
बता दें कि हरियाणा जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल ने बैठक में कहा कि हरियाणा में पीने के पानी का गंभीर संकट है और अगले 8 दिनों के लिए मानवता के आधार पर हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी दिया जाए। पंजाब पहले ही पीने के पानी की किल्लत के चलते हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी दे रहा है। हरियाणा नदियों से अपने हिस्से के पानी का 103 प्रतिशत उपयोग कर चुका है।
जल संसाधन विभाग ने क्या कहा?
पंजाब जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव कृष्ण कुमार ने सख्त लहजे में कहा कि डैमों में जलस्तर कम है और पोंग डैम मरम्मत कार्य के कारण 45 दिनों के लिए बंद है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार पिछले दो वर्षों से हरियाणा को लिख रही है कि भविष्य में मानवता के आधार पर भी पानी देना संभव नहीं होगा क्योंकि पंजाब ने अपने राज्य में पुराने नहरों और खालों को पुनर्जीवित कर लिया है, जिससे पंजाब में पानी की मांग बढ़ गई है।
सूत्रों के अनुसार, बीबीएमबी के चेयरमैन ने माहौल में तल्खी को देखते हुए कहा कि दोनों राज्यों को आपसी सहमति से इस मामले का समाधान करना चाहिए। राजस्थान की ओर से जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार सिंह आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक में जुड़े थे।