ज़रा सोचिए अगर आपके घर में काम करने वाली बाई कुछ दिनों तक छुट्टी पर चली जाये तो क्या होगा ? अच्छा चलिए मान लीजिए आप घर से दफ़्तर के लिये निकलें और रास्तों पर कूड़ा-कचरा पड़ा हो, पता लगे कि शहर भर के सफ़ाई कर्मचारी भी छुट्टी पर चले गए है। तब कैसे महसूस होगा आपको..? घर की सफ़ाई तो आप किसी तरह ख़ुद कर लेंगे पर शहर की सफ़ाई का क्या करेंगे.? डरिए नहीं, हम तो आपको सिर्फ़ साफ़-सफ़ाई के प्रति जागरूक करने का प्रयत्न कर रहें है।
सफ़ाई कितनी आवश्यक है यह हमें तभी पता लगता है जब आस-पास गंदगी हो। साफ़-सफ़ाई के प्रति लोगो में अधिक जानकारी हो, सम्मान हो इसीलिये हर वर्ष 16 सितंबर को विश्व सफ़ाई दिवस मनाया जाता है, सफ़ाई दिवस बिना सफ़ाई कर्मचारियों के मानना संभव नहीं है। विश्व भर में सफ़ाई दिवस अपने-अपने तरीक़े से मनाया जाता है। भारत में भी साफ़-सफ़ाई पर ख़ासा ज़ोर दिया जाता है, मुझे याद पड़ता है जब भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री शपथ ली थी उसके अगले ही दिन वह हाथों में झाड़ू लेकर दिल्ली शहर में झाड़ू लगाते दिखे थे, इससे यह साफ़ हो जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी साफ़-सफ़ाई के प्रति कितने संवेदनशील हैं।
ऐसे कई मौक़े आये जब अक्सर उनको सफ़ाई का ख़याल रखते देखा जा सकता है, इसका ताज़ा उदाहरण हैं G-20 सम्मेलन सफलता पूर्वक संपन्न करने के तुरंत बाद भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने G-20 को सफल बनाने वाले, दिन-रात सफ़ाई का ख़याल रखने वाले सफ़ाई कर्मचारियों से ना सिर्फ़ मुलाक़ात की बल्कि उनका अनेक धन्यवाद किया और उनका प्रोत्साहन बढ़ाया।
इसके अलावा भारत ने 2022 में स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर नाम से 75 दिनों का स्वच्छता अभियान शुरू किया है, जिसका लक्ष्य देश के समुद्र तट पर 75 समुद्र तटों को साफ करना है। केंद्र के अनुसार, यह मेगा सफाई अभियान एक बड़ा उत्सव है जो आजादी के 75 साल के महाकाव्य आजादी का अमृत मोहत्सव का एक हिस्सा है। इस अभियान में 75 स्वयंसेवक शामिल हैं, जिन्हें 7500 किमी लंबी भारतीय तटरेखा के प्रत्येक किमी पर समुद्र तटों को साफ करने के लिए आवंटित किया गया है।
साल 2022 में पुर्तगाल के लिस्बन में संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में, भारत ने चरणबद्ध तरीके से 2030 तक अपने 30% महासागरों, जल और भूमि की रक्षा करने की प्रतिबद्धता जताई थी। सम्मेलन के बाद, भारत ने घोषणा की कि वह मिशन के हिस्से के रूप में भारत के विशाल समुद्र तट पर स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाएगा। स्वच्छता के प्रति भारत हमेशा प्रतिबंध है। भारत का सबसे साफ़ शहर इन्दौर हैं, इस शहर कुढ़ा भी बहुत काम का है, यहाँ की म्यूनिसिपल पार्टी इसे इस्तेमाल करके कई तरह से उपयोग करती है।
इसके अलावा भी भारत ने कई स्तरों पर सफ़ाई पर ज़ोर दिया हैं, जिसका सकारात्मक प्रभाव भी समाज पर पद रहा है।भारत का पड़ोसी चीन भी सफ़ाई में पीछे नहीं है, चीन की अधिकतर जनता साफ़-सफ़ाई के प्रति ना सिर्फ़ जागरूक है बल्कि ज़िम्मेदार भी है। चीन के लोग और वहाँ की सरकार ने सफ़ाई के प्रति संवेदनशील है। चीन ने एकल इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक पर बैन लगा दिया है और कोशिश की है कि प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से धरती को बचाया जा सके।
अगर आप चीन का दौरा करे तो आप पायेंगे चीन की सड़के बेहद साफ़ और सुरक्षित है। चीन की सरकार लोगो को सफ़ाई के लिए प्रेरित करती है, और स्थानीय लोग भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है। चीन अपने कचरे को रीसायकल करके कई चीज़ों में दोबारा इस्तेमाल करता है, जिससे साफ़-सफ़ाई में मदद मिलती है और प्रदूषण भी कम होता हैं। चीन एक बढ़ती हुईं अर्थव्यवास्था है, जिसके लिये उसे ईंधन की अत्यधिक आवश्यकता पड़ती है, मगर चीन यहाँ भी सफ़ाई का ध्यान रखता है।
तो आनेवाले शनिवार 16 सितंबर को आप लोग भी अपने सफ़ाई कर्मचारियों के सम्मान में कम से कम कुछ सफ़ाई का काम करें और उन्हें गार्वित महसूस करवाये। इस अवसर पर आप कोई एक घर, गली या फिर एक मौहोल्ले की सफ़ाई का बीड़ा उठाये और सफ़ाई अभियान में अपना सहयोग दें, सफ़ाई कर्मचारियों का हमेशा सम्मान करें। ये समझने की कोशिश करें कि उनके बिना एक दिन भी जीना बड़ा कष्टदायक है। विश्व सफ़ाई दिवस की आप सभी को शुभकामनाएँ।