दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके द्वारा दायर मानहानि मामले में बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें एसीएमएम अदालत द्वारा सिरसा को जारी किए गए समन को बरकरार रखा गया था. अदालत ने कहा कि, इस स्तर पर, उसे मानहानि मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं मिला.
इसमें कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने 4 अप्रैल, 2016 के एक पत्र से संबंधित मानहानि के लिए एफआईआर दर्ज करने और एक साथ कार्यवाही के मुद्दे की जांच की थी. अदालत ने कहा,”इस अदालत ने पाया कि विद्वान एएसजे ने दिनांक 04.04.2016 के पत्र के संबंध में एफआईआर दर्ज करने के मुद्दे और मानहानि के अपराध के लिए वर्तमान शिकायत मामले में एक साथ कार्यवाही की विस्तार से जांच की है. अदालत ने स्पष्ट किया कि उसकी टिप्पणियां प्रथम दृष्टया थीं और उन्हें मामले की योग्यता पर एक राय के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए.
मंजीत सिंह ने सिरसा और अन्य पर बदनाम करने का लगाया आरोप
मामले को लेकर मंजीत सिंह ने आरोप लगाया कि मनजिंदर सिंह सिरसा और अन्य आरोपी व्यक्तियों ने सोशल मीडिया पोस्ट, वीडियो और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उन्हें नियमित रूप से बदनाम किया. अदालत ने कहा कि इस मामले में मानहानि का अपराध 2020 में एक बार की घटना नहीं थी, और ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों में कोई खामी नहीं थी. अदालत ने कहा,” इस स्तर पर, इस अदालत को वर्तमान शिकायत मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं मिलता है. दिल्ली हाईकोर्ट से बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार के बाद उनकी मुश्किलें अब और बढ़ने वाली है.