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UP Congress Committee को क्यों करना पड़ा भंग, जानें Rahul Gandhi के एजेंडे पर कैसे बनेगा नया संगठन

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कांग्रेस ने अब अपने यूपी संगठन की पूरी तरह से ओवरहालिंग कर नए सिरे से कमेटी गठित करने का प्लान बनाया है.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस में नए सिरे से बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है. कांग्रेस प्रदेश कमेटी, सभी जिला, शहर और ब्लॉक कमेटी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है.
कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार देर रात यूपी संगठन को भंग करने का आदेश जारी किया. पिछले दिनों कांग्रेस केंद्रीय कमेटी की बैठक में ही राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सभी राज्यों में प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर पर पुनर्गठन का निर्देश दिया था, जिसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से हो गई है.
कांग्रेस ने अब अपने यूपी संगठन की पूरी तरह से ओवरहालिंग कर नए सिरे से कमेटी गठित करने का प्लान बनाया है. माना जा रहा है कि राहुल गांधी के एजेंडे के तहत टीम गठित होगी.
राहुल गांधी सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना का एजेंडा लेकर चल रहे हैं, जिसके चलते दलित, ओबीसी और पिछड़े वर्ग को उत्तर प्रदेश संगठन में जगह देने की रूपरेखा बनाई गई है.

कांग्रेस ने क्यों किया संगठन भंग

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन को बने हुए पांच साल पूरे हो गए हैं. यूपी में जमीनी स्तर पर लंबे अरसे के बाद 2019 में संगठन बना था, जिसे प्रियंका गांधी ने अपनी निगरानी में बनवाया था. इन पांच सालों में कांग्रेस के तीन प्रदेश अध्यक्ष बदल गए हैं, राज बब्बर, अजय कुमार लल्लू और बृज लाल खाबरी के बाद अब अजय राय उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हैं.
बृजलाल खाबरी और अजय राय पुरानी टीम के साथ ही काम करते रहे हैं. इस दौरान कांग्रेस 2019 का लोकसभा और 2022 का विधानसभा हारी जबकि 2024 के चुनाव में सपा से गठबंधन करने के बाद उसे छह सीटें मिली. इसीलिए कांग्रेस ने यूपी संगठन को भंग कर दिया है.
कांग्रेस कमेटी के भंग किए जाने की दूसरी सबसे बड़ी वजह है कि संगठन में तमाम ऐसे नेता हैं, जो एक्टिव मोड में काम नहीं कर रहे थे. कांग्रेस में पद को लेकर बैठे हुए थे और कुछ नेता पार्टी भी छोड़ चुके हैं. इस तरह कई जिलों में जिला अध्यक्ष ही नहीं है.
इसके अलावा यूपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे शाहनवाज आलम को राष्ट्रीय सचिव बनाए जाने के बाद पद खाली चल रहा है. इस तरह खाली पड़े पदों और निष्क्रिय नेताओं की छटनी करके संगठन में तेज-तर्रार नेताओं को जगह देने के लिए प्रदेश की कमेटी को भंग कर नए तरीके से बनाने की रणनीति बनाई है.

प्रियंका की निगरानी में बना था संगठन

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की प्रभारी रहते हुए जमीनी स्तर पर संगठन बनाने का काम किया था. 2019 में यूपी की महज एक सीट पर कांग्रेस के सिमट जाने के बाद प्रियंका गांधी ने नए सिरे से संगठन बनाने की रूपरेखा खींची थी.
प्रियंका गांधी की देख-रेख में यूपी को छह जोन में बांटकर 76 जिला अध्यक्ष, महानगर और शहर अध्यक्ष बनाए गए थे. इसके अलावा 840 ब्लॉक अध्यक्ष और 8138 न्याय पंचायत अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे.
कांग्रेस ने स्तर पर एक जिला अध्यक्ष, पांच उपाध्यक्ष और जनपद के विधानसभा क्षेत्र की संख्या के आधार पर महासचिव और ब्लॉक की संख्या के आधार पर सचिव नियुक्त किए गए थे.
इस तरह जिला संगठन में 40 से 45 सदस्यों को शामिल किया गया था. इसी तरह ब्लॉक स्तर पर 31 सदस्यीय और न्याय पंचायत स्तर पर 21 सदस्यीय कमेटी बनाई थी. यूपी कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में 16 उपाध्यक्ष, 38 महासचिव और 76 सचिव बनाए गए थे.
कांग्रेस यूपी में झेल रही वनवास
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में साढ़े तीन दशक से सत्ता का वनवास झेल रही है. यूपी में कांग्रेस तमाम सियासी प्रयोग करके देख चुकी हैं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छह सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जिसके बाद से ही हौसले बुलंद हैं.
यही वजह है कि कांग्रेस ने अब 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए पहले नए सिरे से प्रदेश संगठन को अमलीजामा पहनाने का प्लान बनाया है. ऐसे में कांग्रेस ने अपने तमाम जिला और शहर अध्यक्षों को बदलने की रूपरेखा बनाई है, जो एक्टिव मोड में काम नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस की निष्क्रिय नेताओं की छटनी करके संगठन में तेज-तर्रार नेताओं को जगह देने की रणनीति है.

कांग्रेस का लक्ष्य मिशन-2027

लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन था. सामाजिक न्याय, जाति जनगणना और संविधान रक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस को समर्थन मिला था. कांग्रेस एक सीट से बढ़कर छह पर पहुंच गई हैं.
अब पार्टी की रणनीति है कि विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर ली जाए. सूबे में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी से कमर कस ली है.
कांग्रेस अपने संगठन को एक्टिव बनाने के लिए पुरानी कमेटी को भंग कर अब नए तरीके से गठन करेगी. उत्तर प्रदेश संगठन में सक्रिय युवाओं के साथ ही पिछ़ड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों की भागीदारी बढ़ाने की तैयारी है. इसके अलावा कई जिलों के जिलाध्यक्षों और पदाधिकारी की छुट्टी कर नए चेहरे को जगह देने की स्ट्रैटेजी है.

यूपी में अब कैसे बनेगा नया संगठन

लोकसभा चुनाव के बाद ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने नए सिरे से संगठन के विस्तार की रणनीति बना ली थी. प्रदेश कार्यकारिणी और जिला कार्यकारिणी के विस्तारीकरण की योजना बनाई गई थी.
इसके तहत ही पार्टी के प्रदेश महासचिव अनिल यादव पश्चिम और पूर्वांचल के करीब 25 जिलों का दौरा कर चुके हैं. इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर संगठनात्मक ढांचा सुधार की रणनीति बनाई. इसके बाद कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय राय ने भी अलग-अलग जनपद का दौरा कर जमीनी स्तर पर संगठन और सियासी मिजाज की थाह ली थी.
2024 में कांग्रेस से साथ जुड़ने वाले वोटबैंक का आकलन किया गया, इसके लिए संबंधित जिलों के सक्रिय पदाधिकारियों को टारगेट दिए गए हैं, ये पदाधिकारी विधानसभा क्षेत्रवार कांग्रेस की अब तक रही पैठ, वोटबैंक, जातिगत आंकड़ा और पिछले पांच चुनावों में हार-जीत के अंतर, पार्टी के लिए कौन सा मुद्दा मुफीद रहेगा, इसका ब्योरा तैयार कर रहे हैं. इस तरह प्रदेश संगठन के महासचिव अनिल यादव और प्रदेश अध्यक्ष अपने-अपने स्तर पर सियासी मिजाज समझने की कवायद कर रहे हैं.

राष्ट्रीय सचिव बनाएंगे संगठन

कांग्रेस ने पिछले दिनों छह राष्ट्रीय सचिव को यूपी की जिम्मेदारी फिर से सौंपी है. कांग्रेस ने धीरज गुर्जर, राजेश तिवारी, तौकीर आलम, प्रदीप नरवाल, नीलांशु चतुर्वेदी और सत्यनारायण पटेल को राष्ट्रीय सचिव बनाकर यूपी में लगाया.
प्रियंका गांधी जब उत्तर प्रदेश की प्रभारी थीं, उस समय से ही छह नेता जिम्मा संभाल रहे हैं. कांग्रेस कमेटी के गठन में इन छह राष्ट्रीय सचिव का अहम रोल रहेगा.
यूपी में कांग्रेस की जिम्मेदारी संभाल रहे छह राष्ट्रीय सचिव, प्रदेश अध्यक्ष जोन वाइज और जिलेवार दौरा करेंगे. इस दौरान वो जिलों के सक्रिय नेताओं को चिह्नित कर उन्हें जिम्मेदारी सौंपेंगे.
इसके लिए हर जोन और जिले में बैठक कर लोगों से आवेदन लेंगे. कांग्रेस संगठन में आवेदन सिर्फ पार्टी के नेता ही नहीं बल्कि कोई भी कर सकता है. इस तरह दूसरे अन्य दल से जुड़े नेता भी अगर कांग्रेस संगठन में काम करना चाहते हैं तो वो भी अपना आवेदन दे सकते हैं.
इसके बाद आवेदन करने वाले नेताओं की छटनी की जाएगी, उसकी प्रक्रिया अभी बनाई जानी है. इसके बाद ही कांग्रेस प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर की कमेटी गठित कर विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए उतरेगी.

यूपी कांग्रेस संगठन पर राहुल की छाप

उत्तर प्रदेश में पिछले पांच साल से जो संगठन काम कर रहा है, वो प्रियंका गांधी ने यूपी की प्रभारी रहते हुए बनाया था. अब नए सिरे से बनने जा रहे संगठन में राहुल गांधी के एजेंडे की झलक दिखेगी.
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपना सियासी वजूद बचाने की जंग लड़ रही है. यूपी की सत्ता पर लंबे समय तक विराजमान रही कांग्रेस की सरकार बनाने की उम्मीद आज लगभग खत्म सी हो गई है, लेकिन 2024 में राहुल गांधी रायबरेली से सांसद बनने के बाद अलग तरीके से एक्टिव है. राहुल गांधी ने यूपी में दलित और मुस्लिम से जुड़े मुद्दों पर आक्रामक रुख अपना रखा है.
राहुल गांधी इन दिनों सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना को लेकर चल रहे हैं. उन्होंने सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष का एलान किया है. इस तरह राहुल का फोकस दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वोटों पर है.
माना जा रहा है कि सामाजिक न्याय के साथ ही स्थानीय मुद्दों को भी वरीयता के आधार पर उठा रहे हैं. कांग्रेस को ऐसे युवाओं की तलाश है, जो सामाजिक न्याय और जनहित के मुद्दों को लेकर निरंतर आंदोलन चला सके.
कांग्रेस ने ऐसे युवाओं को चिह्नित करना शुरू कर दिया है. इसी रणनीति के तहत संगठन को रूप दिया जाएगा. कांग्रेस की नई टीम में ऐसे सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्र नेताओं और जमानी कार्यकर्ताओं को मौका देने की रणनीति है, जिन्हें संगठन में पहले कोई पद नहीं मिला.
यूपी कांग्रेस संगठन उदयपुर चिंतन शिविर में फॉर्मूले पर सहमती बननी है. उदयपुर में हुई बैठक में 68 प्रतिशत से ज्यादा भागीदारी पिछड़े, दलितों और अल्पसंख्यकों को देने का प्लान बना था.
माना जा रहा है कि यूपी संगठन में इसी आधार पर नई टीम गठित की जाएगी. प्रियंका गांधी के दौरान में बनी प्रदेश कार्यकारिणी में 23 दलित, 22 मुसलमान और 44 ओबीसी वर्ग के नेताओं को शामिल किया गया था.
सामान्य वर्ग में 12 ठाकुर, 16 ब्राह्मण, तीन भूमिहार सहित 41 लोगों को जगह मिली थी. इसी जातीय समीकरण के आधार पर इस बार भी प्रदेश कमेटी का गठन किया जाएगा.
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